'सिय्योन की ओर' - हिन्दी भाषा में फिल्म के ट्रेलर

Video

April 23, 2015

4000 साल पूर्व इश्वर ने मेसोपोटेमिया में अब्राम को दर्शन देकर बोले अपने देश, अपने लोगो को छोड दो, अपने पिता के परिवार को छोड दो और उस देश में जाओ जिसे मे तुम्हे दिखाऊंगा, में तुमसे एक महान राष्ट्र बनवाऊंगा । अब्राम ईश्वर की आज्ञा मान, उनके वादे किए हुए कानन देश में चले गए । जहाँ पुत्र इशाक एवं पौत्र जेकब के साथ निवास करने लगे, बाद मे इजराईल नाम से प्रसिद्ध हुए । कानन देश में अकाल फैलने के कारण इजराईल अपने बारह संतानो के साथ मिश्र चले गए और वंश वृद्धि कर स्वयं को शक्तिशाली जाति के रूप में स्थापित किया ।

मिश्र वासीओ को इस शक्ति वृद्धि से खतरे का अंदेशा होने लगा । इसलिए उन्हे गुलाम बना कर उन पर कठोर अत्याचार करने लगे । 430 वर्ष बाद मिश्र मे मुसा ने उन्हें दासत्व से मुक्ति दिलाई । वे लोहित सागर पार कर अरब चले गए । और वहाँ सिनोय पर्वत में ईश्वर के कानून के बारे में पता चला ।

मुसा के साथ जो मिश्र वासी मिश्र छोडकर आ गये थे उनमें ईश्वर के प्रति आस्था कम होने के कारण वे वादा किए गए स्थान पर प्रवेश नही कर पाए । वे 40 वर्ष तक रेगीस्तान में भटकने के लिए मजबूर हुए । प्रभु पर आस्था रखने वाली नयी पीढी के जन्म के बाद वे यसुओ के साथ वादा किए स्थान पर प्रवेश पा सके।

लगभग 400 वर्ष तक इजराईल की 12 जनजातियों पर न्यायधिशो ने मुसा के कानून अनुसार शासन किया । उसके बाद जब दूसरी जातिओं की तरह उन्होंने भी एक राजा की माँग की, तो ईश्वर ने सोउल को उनका राजा नियुक्त किया । जिन्होंने 40 साल शासन किया, इसके बाद राजा दाउद ने 40 साल और उन्के पुत्र सोलोमन ने 40 साल शासन किया । सोलोमन के शासन काल में इजराईल उन्नति की शिखर पर था ।जब प्रथम मंदिर निर्माण हुआ । ईश्वर के प्रति आस्था न होने के कारण सोलोमन को वृद्धावस्था में ईश्वर ने कहा, 10 जनजाति उनके पुत्र के अधिन नही रहेंगे ।

सोलोमन की मृत्यु पश्चात इजराईल विभाजित हो गया । उतर भाग के 10 जनजातियों का अत्याचारी राजा लगातार शोषण करने लगे । जो राजा दाउद एवम सोलोमन के वंशज नही थे, उतर भाग के इस खण्ड का नाम था इजराईल एवम उसकी राजधानी थी समारिया । दक्षिण का छोटा राज्य यहुदा एवम राजधानी थी येरुसलेम । जिस पर दाउद के वंशजो ने राज किया,”राजा 2 भाग 16” के प्रारंम्भ में दक्षिण में स्थित राज्य के लोगो को यहुदा राज्य के नाम के कारण यहुदी कहा जाने लगा ।

उतर भाग के अत्याचारी राजाओं को उनके व्यवहार के कारण वहाँ से हटना पडा । और अशूरीयों ने उन्हें बंदी बना लिया । इजराईलीयों में जो लोग इन अत्याचारीयों के साथ सामिल थे उस लोगो ने लौट कर इस प्रदेश पर कब्जा कर लिया । ये लोग समारीटन के नाम से जाने जाते है । उतर इजराईल की 10 जनजाति फिर कभी कोई राष्ट्र नही बना पाई ।

यहुदा का दक्षिण भाग भी दूसरे देवताओं के प्रति आस्था प्रदर्शन के दण्ड स्वरूप बेबीलोन के हाथो बंदी बनाया गया, मंदीर ध्वस्त किए गए । लेकिन इसके 70 वर्ष बाद यहुदी फिर् वापस यहुदा में आ गए । और येरुसलेम में पुन: मंदीर स्थापित किए । (फिर से मंदिर बनाया) एवम दाउद के वंशज इस पर राज करते रहे ।

येसु के समय यहुदा यहुदीयों के नाम से प्रसिद्ध हुए जो रोमा साम्राज्य के अधिन थे । प्रभु येसु एवम उनके शिष्यो ने यहुदीयों को अपने घर वापस बुलाने के लिए पुरे यहुदीया में सुसमाचार की घोषणा की । साढे तीन साल के मिशनरी कार्य के बाद यहुदीयों ने येसु को अपना मुक्तिदाता मानने से इंकार किया एवम उन्हें कृष पर चढाने के लिए रोम के राज्यपाल को राजी किया । तीन दिन बाद येसु पुनर्जिवित हुए एवम स्वर्गारोहण करके सर्वशक्तिमान के दाहिने और बिराजित होने से पहले जिवित रूप में शिष्यो के सामने आए ।

कृष पर चढने के कुछ समय पहले उन्होनें भविष्य वाणी की कि उनकी अवहेलना के दण्ड स्वरूप येरुसलेम जल कर राख हो जायेगा, मंदिर ध्वस्त हो जायेंगे एवम यहुदी विक्षिप्त होकर पूरे विश्व में बिखर जायेंगे । 70 के इसाई युग में जब रोम सम्राट तितास से येरुसलेम विजय पायी तब ये भविष्यवाणी सत्य साबित हुई । 1800 साल से भी ज्यादा समय तक यहुदी पूरे विश्व में बिखरे रहे ।

तत्पश्चात 1948 में असंभव संभव हुआ । इजराईल राष्ट्र पुन: प्रतिष्ठित हुआ और यहुदी फिर से वादा किए हुए स्थान पर वापस लौटे । बहूत से इसाई इस घटना को अलौकिक या ईश्वर का आशिर्वाद मानते है । लेकिन क्या ये सचमुच ईश्वर का आशिर्वाद है या किसी अशुभ शक्ति होने का संकेत है । इस फिल्म में इन्ही सभी बातों का जवाब है।

 

 

 

mouseover